कुछ कम सा लग रहा है आज...
कुछ आँखों में नमी सी है ...
ना जाने इतनी खुशियों के बाद...
अब जाने क्या कमी सी है ...
रात रात भर अब लगता है मानो...
सपने रूठ गए हैं हमसे ...
ना नींद का ठिकाना है अब...
और ना जागने का बहाना ....
खोयी खोयी सी दुनिया में ...
अंजाना सा मुसाफिर बन गया हूँ ...
अब तो लगता है जैसे....
अपने आपसे ही झगड़ रहा हूँ...
संभल जा तू ए दिल....
तुझसे है ये गुज़ारिश ...
दिमाग पे अब जोर नहीं रहा....
नहीं तो दिल को भी समझा लेते ...
haila ... tu to kavi ban gya re ... good keep writing ... :)
ReplyDeleteThanks Preksha...:)
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